Connect with us

मध्यकालीन युग के घटनाक्रम पर प्रमाणिक शोध एवं विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता: जे नंदकुमार

उत्तराखंड

मध्यकालीन युग के घटनाक्रम पर प्रमाणिक शोध एवं विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता: जे नंदकुमार

उत्तराखंड प्रज्ञा प्रवाह सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत की गहरी समझ और अध्ययन को बढ़ावा देने के क्षेत्र में कार्यरत है। यह मंच भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं जिसमें दर्शन, कला, साहित्य, अध्यात्म और सामाजिक विज्ञान शामिल हैं, से जुड़ा हुआ है और इसका उद्देश्य विद्वानों, बुद्धिजीवियों और उत्साही लोगों के लिए इन विषयों का पता लगाने और चर्चा करने के लिए एक मंच के रूप में काम करना है। इसकी स्थापना 1980 के दशक की शुरुआत में हुई थी। प्रज्ञा प्रवाह विभिन्न राज्य स्तरीय संगठनों के माध्यम से काम करता है।जिसके प्रत्येक राज्य में अलग-अलग नाम हैं। उत्तराखंड मे यह “देवभूमि विचार मंच”के नाम से संगठित है।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तरकाशी: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियां तेज़, जिला निर्वाचन अधिकारी ने यहां किया निरीक्षण

प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक श्री जे. नंदकुमार ने उक्त बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि मध्यकालीन युग में भारत में घटित घटनाक्रमों पर विस्तृत शोध एवं अध्ययन की आवश्यकता है l श्री जे. नंद कुमार द्वारा देवभूमि विचारमंच के कार्यकर्ताओं के साथ परिचर्चा करते भारतीय इतिहास के सत्य के साथ हुई प्रायोजित तथ्यत्मक साजिशों औऱ उसके प्रस्तुतिकरण से संदर्भित विषय पर विचार प्रस्तुत किये गये। श्री जे.नंद कुमार ने बताया कि वामपंथीयों इतिहासकारों द्वारा प्रस्तुत शैक्षणिक पुस्तकों में प्रस्तुत जानकारियों में मुग़ल आक्रताओं एवं उनके शासनकाल के कालखंड को भारत का इतिहास के रूप में प्रस्तुत करने के कार्य किये। जबकि वास्तविकता इससे भिन्न है।

यह भी पढ़ें 👉  तलजामण और डूंगर,उछोला , जैसे दुर्गम क्षेत्रों में संचालित हो रहा सामुदायिक किचन

रोमिला थापर, इरफ़ान हबीब से लेकर अनेक वामपंथी इतिहास लिखने ने कभी भी भारत के वैदिक राष्ट्रीय चिंतन को महत्व नहीं दिया, इसी कारण दो हजार वर्ष से अधिक समय तक रही दक्षिण भारत की चोल राजशाही इन किताबों का हिस्सा नहीं बन पायी, असम के योद्धा लचित बर्फूकन के शासनकाल में मुग़ल शासक कभी भी पुर्वोत्तर कर राज्यों में अपना शासन स्थापित नहीं कर सके उन्हें हर युद्ध में हार का सामना करना पड़ा लेकिन बाम इतिहास लेखकों की पुस्तकों में कभी लचित ब्रफुकन का नाम पढ़ने को नहीं मिला, उनके लिये लिये भारत का राष्ट्रीय चिंतन मात्र राजनितिक राष्ट्र विचार रहा जबकि यह भारत का वैदिक विचार है जो हमारे वेद से निकल कर आया है अब समय आ गया है की देश के युवा भारत के इतिहास के सत्य को जाने औऱ उस दिशा में शोध एवं अध्ययन करें।

यह भी पढ़ें 👉  मुख्यमंत्री ने माउंट एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ने वाले चम्पावत के वीरेन्द्र को शुभकामनाएं दी

उक्त परिचर्चा में प्रज्ञा प्रवाह के क्षेत्रीय संयोजक श्री भगवती प्रसाद राघव, उत्तराखंड एवं उत्तर प्रदेश राज्य, उत्तराखंड प्रान्त संयोजक डॉ अंजलि वर्मा, देवभूमी विचारमंच के कोषाध्यक्ष श्री कृष्ण चंद्र मिश्रा, सह क्षेत्र शोध समन्वयक डॉ रविशरण दीक्षित, केन्द्रीय कार्यकारिणी सदस्य प्रो.एच.सी.पुरोहित, संयोजक प्रचार आयाम श्री कुलदीप सिंह राणा, व अनेक प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित रहें।

Latest News -
Continue Reading

More in उत्तराखंड

उत्तराखंड

उत्तराखंड

VIDEO ADVERTISEMENT

ट्रेंडिंग खबरें

To Top