उत्तराखंड
फूलों की घाटी का दीदार कर सकते है पर्यटक, जानिए क्या कुछ होगा खास…

चमोलीः उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित विश्व धरोहर फूलों की घाटी आज पर्यटकों को खोल दी गई है। कोरोना संक्रमण के चलते बीते दो साल पर्यटक फूलों की घाटी की सैर नहीं कर पाए। लेकिन, इस बार पर्यटकों में घाटी की सैर को लेकर भारी उत्साह है।
दुनिया की इकलौती जगह
यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल फूलों की घाटी एक जून से पर्यटकों के लिए खुल गई। यह दुनिया की इकलौती जगह है जहाँ पर प्राकृतिक रूप से 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं। इसके अलावा पर्यटक यहां दुर्लभ प्रजाति के पशु-पक्षी, जड़ी-बूटी व वनस्पति, कल-कल बहती पुष्पावती नदी, झर-झर झरते झरने, टिपरा ग्लेशियर और बर्फाच्छादित चोटियों का दीदार कर सकते हैं।
फूलो की घाटी का टिकट
यह पहुंचने के लिए भारतीय पर्यटकों को 150 रुपये और विदेशी पर्यटकों को 600 प्रति व्यक्ति शुल्क अदा करना होता है। फूलों की पहुंचने के लिए गोविदघाट से 17 किमी की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। बेस कैंप घांघरिया से यह दूरी तीन किमी है। घाटी के लिए गोविंदघाट से घांघरिया तक हेली सेवा भी उपलब्ध है।
छह महीनों के लिए बर्फ की चादर
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के प्रभागीय वनाधिकारी नंदाबल्लभ जोशी ने पर्यटकों के पहले दल को घांघरिया से घाटी के लिए रवाना किया। उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है। चमोली जिले में 3,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, फूलों की घाटी में जून से अक्टूबर तक पर्यटक जा सकते हैं। अक्टूबर से शुरू होने वाले शेष छह महीनों के लिए बर्फ की चादर में ढकी रहती है।
लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट पाने के लिए -
👉 चमोली टुडे न्यूज़ के वाट्सऐप ग्रुप से जुड़ें
👉 चमोली टुडे न्यूज़ के फेसबुक पेज़ को लाइक करें
Latest News -
कुम्भ क्षेत्र के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में 2924 बेड होंगे आरक्षित – डॉ. आर राजेश कुमार
बसुकेदार क्षेत्र में आपदा के बाद राहत: मयाली–गुप्तकाशी मार्ग पर वेलिब्रिज निर्माण कार्य तेज़ी से जारी
भालू की दहशत से डीएम और एसडीओ वन विभाग से मिला ग्रामीण शिष्टमंडल
आपदा प्रभावित कनलगढ़ घाटी का दौरा – सरकार पीड़ितों के साथ, राहत व पुनर्वास कार्य युद्धस्तर पर जारी
जनस्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किसी भी परिस्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा: मुख्यमंत्री
