उत्तराखंड
दो दिवसीय अभिनय कार्यशाला का समापन, प्रसिद्ध अभिनेता ने सिखाएं गुर…
देहरादून। पंचम वेद ट्रस्ट और ओलंपस हाई स्कूल के संयुक्त तत्वावधान में आज दो दिवसीय अभिनय कार्यशाला का समापन हुआ। जिसमें प्रसिद्ध अभिनेता और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से ललित तिवारी ने विभिन्न संस्थाओं के कलाकारों को अभिनय के गुर सिखाए।
ललित तिवारी एक भारतीय टेलीविजन और फिल्म अभिनेता हैं, जिन्होंने मुख्य रूप से हिंदी सिनेमा और हिंदी टीवी जगत में कार्य किया है। ललित को मुख्य रूप से महाभारत (1988 -1990) टीवी शो में संजय के रोल के लिए जाना जाता है, साल 1988 में इन्होने भारत एक खोज हिस्टोरिकल सीरीज में भी काम किया है।
नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में पढ़े हुए ललित ने साल 1987 में सुधीर मिश्रा की फिल्म ‘ये वो मंजिल तो नहीं’ से अपने फिल्मी करियर की शुरुवात की। जिसके बाद वह कई फिल्मों में अभिनय करते हुए दिखाई दिए। उन्होंने चांदनी, लम्हे और दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे जैसी मुख्यधारा की बॉलीवुड फिल्मों में भी काम किया है।
ललित तिवारी ने कहा की यदि एक लंबा नाटक करना संस्थाओं के लिए मुश्किल हो जाता है तो भी बहुत कम कॉस्टयूम और सेट के साथ किसी छोटे स्थान पर संस्थाओं को छोटे छोटे नाटक या सीन वर्क पर काम करना चाहिए, जिससे लगातार काम करके कलाकार अपनी प्रतिभा को निखार सकेंगे।
इस मौके पर उपस्थित निर्माता-निर्देशक कुणाल शमशेर मल्ला ने कहा कि साहित्य में विश्व स्तर पर अनेक छोटी बड़ी बेहतरीन कहानियां और नाटक लिखे जा चुके हैं जिनको शॉर्ट फिल्म या फुल लेंथ फीचर फिल्म में रूपांतरित करके नए निर्माता-निर्देशक बहुत खूबसूरत फिल्में दर्शकों के सामने ला सकते हैं।
विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं में अभिनय प्रशिक्षण दे रहे अनुराग वर्मा ने सभी संस्थाओं को और कलाकारों को एकजुट होकर काम करने की अपील की। शिक्षा के साथ-साथ रंगमंच की उपयोगिता पर बोलते हुए उन्होंने कहा की एक संवेदनशील पीढ़ी तैयार करने के लिए आज के छात्रों को रंगमंच से जोड़ना नितांत आवश्यक है।
कार्यक्रम के दौरान फ़िल्मों और रंगमंच से जुड़े मानवी नौटियाल, आशीष वर्मा, शिवम कांबोज, बद्रीश छाबड़ा, पदम सिंह, अंशिका जैन, अनूप कॉल, कुणाल सिंह, शुभम शर्मा, ध्रुव गुप्ता आदि उपस्थित कलाकारों ने विभिन्न छोटी-छोटी प्रस्तुतियां देकर अपनी अपनी अब अभिनय क्षमता का परिचय दिया।