उत्तराखंड
उत्तराखंड विधानसभा सत्र का दूसरा दिन रहा हंगामेदार, इस मुद्दे पर विपक्ष ने किया वॉकआउट
देहरादूनः उत्तराखंड में विधानसभा सत्र का आज दूसरा दिन रहा हंगामेदार रहा। बसे पहले निधन के निदेश लिए गए। इस दौरान पूर्व विधायक हरबंस कपूर और गोपाल ओझा को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। जिसके बाद सरकार ने जहां एक तरफ सदन में कई विधेयक और अध्यादेश पटल पर रखे तो वहीं दूसरी तरफ विपक्ष ने महंगाई के मुद्दे को लेकर नियम 58 के तहत सवाल खड़े किए। इस दौरान सदन में जमकर हंगामा हुआ। संतोषजनक जवाब न मिलने पर विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया। कांग्रेस नेता धरना देते भी नजर आए।
हरिद्वार ग्रामीण विधायक अनुपमा रावत सदन में महंगाई के विरोध में कागज का बनाया हुआ सिलेंडर लेकर आईं। विपक्ष ने कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण में महंगाई के मुद्दे पर कोई बात ही नहीं की गई है। आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपये से ज्यादा हो गया है। राज्य सरकार कोई ठोस कदम उठाए। ज्वालापुर विधायक रवि बहादुर ने कहा कि मैं जब देहरादून आ रहा था तो पेट्रोल पंप पर तेल डलवाया लेकिन मैं गाड़ी से बाहर नहीं निकला। ड्राइवर ने पूछा कि बाहर क्यों नहीं आए। मैंने कहा कि मुझे डर लगता है। रवि बहादुर का बोला गया एक शब्द असंसदीय मानते हुए अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही से हटाया। वहीं दूसरी ओर विधायक हरीश धामी ने कहा कि सरकार ने कहा था कि हर घर को रोजी रोटी और काम देंगे। न रोजी रोटी मिली और न ही रोजगार मिला।
बदरीनाथ विधायक राजेंद्र भंडारी ने कहा कि महंगाई ने उत्तराखंड और देश में कीर्तिमान बनाए। डीजल से किसानों की कमर टूट गई है। हमें अच्छे दिन नहीं चाहिए, हमारे पुराने दिन ही लौटा दो। चुनाव आते हैं तो हर चीज आ जाती है। गैस सस्ती हो जाती है। डीजल-पेट्रोल कम हो जाता है। चुनाव जाते ही दोबारा शुरू हो जाता है। सरकार ने कोविड में बेरोजगारों को रोजगार का झूठा वादा किया। सदन से बाहर आने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रीतम सिंह ने कहा कि महंगाई चरम पर है। खास तौर पर पेट्रोल और डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं। इसके बावजूद सरकार का कहना है कि उत्तराखंड में कहीं भी महंगाई नहीं है। जिससे साफ जाहिर होता है कि महंगाई को लेकर सरकार की मंशा ठीक नहीं है।