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मुख्यमंत्री धामी के विज़न से बदली उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा की तस्वीर, उपलब्धियों का वर्ष रहा वर्ष 2025

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मुख्यमंत्री धामी के विज़न से बदली उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा की तस्वीर, उपलब्धियों का वर्ष रहा वर्ष 2025

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दूरदर्शी दिशा-निर्देशों और चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत के सतत मार्गदर्शन में उत्तराखंड का चिकित्सा शिक्षा विभाग तेज़ी से परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। सरकार का स्पष्ट लक्ष्य है राज्य के प्रत्येक नागरिक को सुलभ, गुणवत्तापूर्ण और आधुनिक स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराना, साथ ही युवाओं को उच्चस्तरीय चिकित्सा शिक्षा के अवसर देना। इस लक्ष्य को धरातल पर उतारने में चिकित्सा शिक्षा सचिव डॉ आर राजेश कुमार की प्रभावी प्रशासनिक भूमिका निर्णायक साबित हो रही है। वर्ष 2025 चिकित्सा शिक्षा विभाग के लिए उपलब्धियों का वर्ष रहा है। मानव संसाधन की कमी को दूर करने, मेडिकल व नर्सिंग कॉलेजों को सशक्त बनाने, सुपर स्पेशियलिटी सेवाओं का विस्तार करने और आधुनिक चिकित्सा तकनीकों को अपनाने की दिशा में विभाग ने उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की है। ये प्रयास न केवल वर्तमान जरूरतों को पूरा कर रहे हैं, बल्कि भविष्य की स्वास्थ्य आवश्यकताओं के लिए भी मजबूत आधार तैयार कर रहे हैं।

चिकित्सा शिक्षा की रीढ़ को मिली मजबूती

चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता सीधे तौर पर उपलब्ध मानव संसाधन से जुड़ी होती है। इसे ध्यान में रखते हुए वर्ष 2025 में राज्य सरकार ने मेडिकल कॉलेजों में नियुक्तियों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। इस वर्ष राजकीय मेडिकल कॉलेजों में 07 स्थायी प्राचार्यों की नियुक्ति की गई, जिससे लंबे समय से चली आ रही प्रशासनिक अस्थिरता समाप्त हुई। प्राचार्यों की स्थायी नियुक्ति से नीतिगत निर्णयों में तेजी और अकादमिक वातावरण में स्थिरता आई है। संकाय सदस्यों की कमी को दूर करने के लिए 18 प्रोफेसर और 36 एसोसिएट प्रोफेसर की नियुक्ति की गई। इसके साथ ही 439 असिस्टेंट प्रोफेसर के सापेक्ष 142 असिस्टेंट प्रोफेसर का चयन पूर्ण किया गया है। यह कदम मेडिकल छात्रों के लिए बेहतर शिक्षक-छात्र अनुपात सुनिश्चित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रहा है।

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नर्सिंग सेवाओं को सशक्त बनाने पर विशेष फोकस
स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ मानी जाने वाली नर्सिंग सेवाओं को मजबूत करने के लिए भी सरकार ने बड़े कदम उठाए। वर्ष 2025 में 1248 नर्सिंग अधिकारियों को नियुक्ति पत्र प्रदान किए गए। इससे न केवल अस्पतालों में कार्यभार संतुलित हुआ, बल्कि रोगियों को बेहतर देखभाल भी सुनिश्चित हुई। इसके अतिरिक्त 14 सीएसएसडी/ओटी टेक्नीशियन और 73 फार्मासिस्ट के पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया गतिमान है। इन नियुक्तियों से ऑपरेशन थिएटर, दवा वितरण और संक्रमण नियंत्रण जैसी सेवाओं में सुधार देखने को मिल रहा है।

नर्सिंग कॉलेजों में शिक्षा का विस्तार
राजकीय नर्सिंग कॉलेजों में वर्ष 2025 में मानव संसाधन और शैक्षणिक ढांचे दोनों को मजबूत किया गया। एक प्रोफेसर, छह एसोसिएट प्रोफेसर और 26 नर्सिंग ट्यूटर की नियुक्ति पूरी की गई। इसके साथ ही विभाग ने भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कई नए पदों का सृजन किया, जिनमें उप प्राचार्य, प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और ट्यूटर शामिल हैं। चमोली, पौड़ी, अल्मोड़ा और हल्द्वानी नर्सिंग कॉलेजों में एमएससी नर्सिंग पाठ्यक्रम की शुरुआत से राज्य में उच्च शिक्षा प्राप्त नर्सिंग पेशेवरों की उपलब्धता बढ़ेगी, जिसका सीधा लाभ स्वास्थ्य सेवाओं को मिलेगा।

मेडिकल कॉलेजों को मिला आधुनिक स्वरूप
वर्ष 2025 में अधोसंरचना विकास के क्षेत्र में भी चिकित्सा शिक्षा विभाग ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल कीं। राजकीय दून मेडिकल कॉलेज, देहरादून में 750 सीटों और राजकीय मेडिकल कॉलेज, हल्द्वानी में 1000 सीटों की क्षमता वाले आधुनिक ऑडिटोरियम का लोकार्पण किया गया। ये ऑडिटोरियम शैक्षणिक कार्यक्रमों, सेमिनार और राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलनों के लिए उपयोगी साबित होंगे। दून चिकित्सालय में 04 नए इमरजेंसी ऑपरेशन थिएटर शुरू किए गए, जिससे आपातकालीन सर्जरी सेवाओं में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

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सुपर स्पेशियलिटी सेवाओं का विस्तार
विशेषज्ञ चिकित्सा सेवाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से देहरादून और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेजों में सुपर स्पेशियलिटी विभाग स्थापित किए गए हैं। इन विभागों में कार्यरत विशेषज्ञ चिकित्सकों को आकर्षित करने के लिए वेतनमान में ऐतिहासिक वृद्धि की गई है—प्रोफेसर को ₹5 लाख, एसोसिएट प्रोफेसर को ₹3 लाख और असिस्टेंट प्रोफेसर को ₹2 लाख प्रतिमाह। संविदा पर कार्यरत फैकल्टी के वेतन में भी वृद्धि की गई है, जिससे अनुभवी चिकित्सकों की राज्य में निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।

विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी दूर करने की पहल
राज्य में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए पीजी सीटों में भी उल्लेखनीय वृद्धि की गई है। वर्ष 2025 में कुल 68 पीजी सीटों की वृद्धि हुई है। इनमें अल्मोड़ा में 35, हल्द्वानी में 13, देहरादून में 10 और श्रीनगर में 10 सीटें शामिल हैं। इस कदम से आने वाले वर्षों में राज्य को अधिक संख्या में प्रशिक्षित विशेषज्ञ डॉक्टर उपलब्ध होंगे।

अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएँ
राजकीय मेडिकल कॉलेज, हल्द्वानी में नेत्र रोग विभाग के अंतर्गत आई बैंक और कॉर्निया प्रत्यारोपण केंद्र की शुरुआत कर दी गई है। इससे नेत्र प्रत्यारोपण के लिए मरीजों को अब राज्य से बाहर नहीं जाना पड़ेगा। वहीं, दून चिकित्सालय में हाइपरबारिक ऑक्सीजन थेरेपी की सुविधा शुरू की गई है, जो गंभीर रोगों के उपचार में अत्यंत उपयोगी मानी जाती है।

भविष्य की स्वास्थ्य आवश्यकताओं की मजबूत नींव

राजकीय मेडिकल कॉलेज, हल्द्वानी में 150 शैयाओं का पृथक चिकित्सालय तैयार किया गया है। श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में पुरुष छात्रावास और 60 फैकल्टी के लिए ट्रांजिट हॉस्टल का निर्माण कार्य प्रगति पर है। राज्य के पहले कैंसर संस्थान, हल्द्वानी का निर्माण लगभग 41 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है। रुद्रपुर और पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेजों का निर्माण क्रमशः 40 और 51 प्रतिशत तक पूरा हो चुका है। दून मेडिकल कॉलेज परिसर में पीजी हॉस्टल, इंटर्न हॉस्टल, एसआर/आर हॉस्टल और 500 बेड के अस्पताल का निर्माण कार्य भी तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।

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आत्मनिर्भर स्वास्थ्य व्यवस्था की ओर कदम
वर्ष 2026 के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग ने कई महत्वाकांक्षी योजनाएँ तैयार की हैं। राज्य में कुल 07 मेडिकल कॉलेजों की स्थापना की जा रही है, जिनमें से 05 कार्यशील और 02 निर्माणाधीन हैं। सरकार का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 1000 की आबादी पर एक डॉक्टर उपलब्ध कराना है। सुपर स्पेशियलिटी सेंटर, स्टेट कैंसर संस्थान का विस्तार, रेडियोथेरेपी और ब्रैकीथेरेपी जैसी सुविधाएँ राज्य को चिकित्सा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होंगी।

चिकित्सा शिक्षा सचिव डॉ आर राजेश कुमार का बयान

चिकित्सा शिक्षा सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा कि उत्तराखंड सरकार चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर दीर्घकालिक और समग्र दृष्टिकोण के साथ कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि विभाग का लक्ष्य केवल भवन निर्माण तक सीमित नहीं है, बल्कि ऐसी मजबूत व्यवस्था तैयार करना है जहाँ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, शोध और आधुनिक चिकित्सा सेवाएँ एक साथ विकसित हों। उन्होंने कहा कि मानव संसाधन की कमी को दूर करना, सुपर स्पेशियलिटी सेवाओं का विस्तार करना और नई तकनीकों को अपनाना विभाग की प्राथमिकताओं में शामिल है। डॉ डॉ आर राजेश कुमार ने विश्वास जताया कि मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत के सतत मार्गदर्शन में उत्तराखंड आने वाले वर्षों में चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्यों में अपनी पहचान बनाएगा।

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