उत्तराखंड
राज्य सरकार की परिवहन नीतियों के विरोध में चक्का जाम कर किया विधानसभा कूच
देहरादून। उत्तराखण्ड विक्रम ऑटो परिवहन महासंघ द्वारा अपनी मांगों को लेकर पूरे प्रदेश में राज्य सरकार की परिवहन नीतियों के विरोध में चक्का जाम कर विधानसभा कूच किया। और पुलिस ने रिस्पना पुल से पहले ही बैरीकैडिंग लगाकर सभी को रोक लिया। इस दौरान नोंकझोंक व धक्का मुक्की के बाद सभी वहीं धरने पर बैठ गये और प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने अपना समर्थन दिया।
यहां रेसकोर्स स्थित बन्नू स्कूल में उत्तराखण्ड विक्रम ऑटो परिवहन महासंघ द्वारा अपनी महत्वपूर्ण मांगों को लेकर पूरे प्रदेश में राज्य सरकार की परिवहन नीतियों के विरोध में इकटठा हुए और वहां से रैली के रूप में प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए विधानसभा के पास पहंुचे तो पुलिस ने बैरीकैडिंग लगाकर सभी को रोक लिया और इस दौरान पुलिस व प्रदर्शनकारियों के बीच नोंकझोंक व धक्का मुक्की होने के बाद सभी वहीं धरने पर बैठ गये।
इस अवसर पर कांग्रेस की विधायक ममता राकेश ने कहा है कि राज्य सरकार की परिवहन नीति को सदन में प्रमुखता से उठाया जायेगा और उन्होंने कहा कि राज्य सरकार वर्तमान में ऑटों, विक्रम एवं डीजल चालित वाहनों को बन्द करने से प्रदेश के हजारांे लोग बेरोजगार होने की कगार में हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का यह निर्णय अव्यवहारिक है। उन्होंने कहा कि सरकार ने 15 साल का समय दिया था। लेकिन सरकार अपने वायदे से मुकर रही है।
इस अवसर पर पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा कि प्रदेश सरकार ने काला कानून वापस लिये जाने की मांग की है और काले कानून को जब तक वापस नहीं लेती है तो कांग्रेस व्यापक स्तर पर आंदोलन किया जायेगा। उन्होंने कहा कि सरकार आगामी एक मार्च से सिटी बसों एवं विक्रमों को बाहर का रास्ता दिखा रही है जिन्हें क्रमशः 15 वर्ष एवं 7 वर्ष की अवधि हो चुकी है।
इस अवसर पर परिवहन व्यवसायियों ने कहा कि सरकार ने वर्तमान में विक्रम की अवधि 7 वर्ष एवं सिटी बसों की अवधि 15 वर्ष रखी है जो कि निराधार है। उन्होंने कहा जबकि उच्च न्यायालय के सिंगल व डबल वैंच ने सरकार के इस अव्यवहारिक निर्णय को निरस्त किया है। उनका कहना है कि सरकार उच्च न्यायालय के आदेशों का भी पालन नही कर रही है। जिससे ऑटो चालक संगठन सड़कों पर उतरकर अपनी न्यायोचित मांगों को लेकर संघर्ष करने को मजबूर है।
उनका कहना है कि सरकार खुलेआम कानून का मखौल उड़ा रही है। उन्होंने ने कहा कि कोराना काल मेें ऑटो व सिटी बसों के मालिकों ने अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए जनता की सेवा की है तथा अधिकांश ऑटो, विक्रम,सीटी बस मालिकों ने बैंकों से ऋण लेकर वाहन खरीदे हुए हैं और उन्हें बेरोजगार करने पर तुली हुई है। उनका कहना है कि वर्तमान में उन्हें किश्त चुकाने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल के दौरान सरकार द्वारा इन वाहन मालिकों को कोई भी सहायता नही दी गई हैं।
अब जब सामान्य स्थिति है तब सरकार इस तरह का तुगलगी फरमान जारी कर अपनीे हठधर्मिता का परिचय दे रही है, जो कि अन्यायपूर्ण है। उनका कहना है कि उन पर हो रहे अत्याचार का पुरजोर विरोध करते है तथा सरकार से पुरानी परिवहन नीति ही लागू करने की मांग की है। उनका कहना है कि पूरे प्रदेश में वाहनों की फिटनेस के लिए केवल एक संेन्टर डोईवाला लालतप्पड में स्थापित किया गया है जो कि सरकार की 28 किमी. परिमिट नीति के खिलाफ है।
वाहन मालिकों को वाहनों की फिटनेश कराने के लिए संेटर के कई चक्कर लगाने पड़ रहे हैं होना यह चाहिए था कि सरकार को अपनी नीति के अनुरूप 28 किमी. की परिधि के अन्तर्गत ही फिटनेस संेटर स्थापित करने चाहिए थे ऐसा न करके सरकार ने ऑटो विक्रम चालक मालिकों का मानसिक उत्पीड़न किया है। सरकार ने उनके हाथों में कटोरा थमां दिया है। परिवहन व्यवसायियों का कहना है कि आज एक दिन का चक्का जाम किया है और सरकार ने पुरानी व्यवस्था को लागू नहीं किया तो अनिश्चितकालीन चक्का जाम किया जायेगा। इस अवसर पर प्रशासनिक अधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया। इस अवसर पर प्रदेश भर से आये हुए परिवहन व्यवसायी शामिल रहे।